Monday, June 20, 2011

मेरा पहला फादर्स डे


हेलो दोस्तों
जैसा कि आप  सभी जानते है कि १९ जून का फादर्स डे था आप सभी ने अपने पापा, डैडी या बाबूजी को विश तो जरुर किया होगा बिना इस बहस में पड़े कि यह तो पश्चिम का त्यौहार है या हम तो साल भर पिता को याद करते है.उनका ख्याल रहते है.मेरा तो मानना है कि ख़ुशी मनाने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहिए.भई आप माने या न माने पर अब हम भारतियों के पास भी अपने रिश्तों के लिए कुछ समय निकाल नहीं पाते है.

कई बच्चे तो ऐसे भी है जिन्होंने अपने पापा को ओल्ड एज होम भेज दिया है ये कहकर कि वहा आप आराम से रहेंगे. अब ये तो मेरे जैसा बच्चा भी समझता है कि अपनों के बिना कोई भी खुश नहीं रह सकता. तो क्या अपने पापा को यूँ छोड़ने वालों को उनकी आँखों में तड़प नहीं दिखती? 
 इसीलिए मै कह रहा हूँ कि अब हम भी धीरेधीरे अपने रिश्तों को खोते जा रहे है.  तो क्यों न त्यौहार के बहाने से इन रिश्तो की मिठास को जी लें. क्यों ठीक कहा न मैंने?

 हर त्यौहार की तरह ये भी मेरा पहला फादर्स डे था तो मै तो इसके लिए काफी excited था. मैंने डैडी को सुबह सुबह ही विश कर दिया. हाँ इतना जरुर है कि डैडी मेरी भाषा समझ नहीं पाए पर मेरी भावनावों को उन्होंने जरुर समझा होगा.है न डैडी?
 सॉरी डैडी इस बार बस विश और मेरी किस्सी से काम चला लो. २-३ साल बाद मै आपको गिफ्ट भी दूंगा और हम केक भी काटेंगे.
सभी पापा को हैप्पी फादर्स डे