Sunday, March 4, 2012

ट्रेड फेयर की सीख


 हेलो दोस्तों
 इस बार फिर से काफी दिन हो गए आप लोगो से बात किये हुए.अब क्या करे टाइम ही नहीं मिल पाता है. आजकल.काफी काम जो होता है.

अब आप सोच रहे होगे की मेरे मम्मा डैडी कैसे है जो इतने से बच्चे से बाल मजदूरी करवाते है. अरे आप गलत सोच रहे है उनके कहने से अगर मै चलने लगा तो मै तो कुछ सीख ही नहीं पाउँगा. वो तो मुझे हर चीज़ के लिए मना करते है.
कभी कहते है किचन में मत जाओ, कभी कहते है सीढ़ी की तरफ मत जाओ, बाथरूम में मत जाओ, नुकीली चीज़ मत उठाओ, धीरे चलो दौड़ो मत. बाप रे मै करूँ क्या.अब तो सबकुछ जानने का हक़ है मुझे. आखिर डेढ़ साल का हो गया हूँ. पर नहीं वो तो मुझे बच्चा ही समझते है. अब कोई तो उनको बताये की मै बड़ा हो गया हूँ.
तो बस इसी सब में busy रहता हूँ मै और मम्मा डैडी को भी busy रखता हूँ.. आप लोग बताइए आपने  मुझे मिस किया या नहीं. पिछले दिनों मै ट्रेड फेयर गया था और वो पल मै आप के साथ नहीं बाँट पाया इसलिए मैंने तो काफी मिस किया आपको. कोई बात नहीं अब लिए चलता हूँ मै आपको ट्रेड फेयर की रंगीन दुनिया में. आखिर मेला और मेले की यादें तो इंसान को ताउम्र याद रहती है और वो कभी पुरानी भी नहीं पड़ती है 
अब मै कहीं जाऊ और कुछ सीखू न ऐसा तो हो ही नहीं सकता. तो सबसे पहले मैंने वहां बर्तन बनाना सीखा
 फिर सोचा क्यूँ न पूरी कारीगिरी का मुआयना कर लूँ कभी न कभी तो काम आयेगी




 मैंने मम्मा डैडी से भी कहा की कुछ आप लोग भी सीख लो पर वो तो बस मेला देखने में मशरूक थे


फिर मम्मा ने मुझे बताया की इनकी मटकी में क्रीम यानि माखन है तो मैंने सोचा अपने नाम को सार्थक करूँ और थोडा सा माखन चुरा लूँ पर उन अम्मा ने मुझे माखन नहीं दिया


 मैंने सोचा इनसे ही कुछ मांग लूँ मेले में घूम घूम कर भूख जो लग रही थी
 
 पर इन्होने भी कुछ नहीं दिया तो मुझे थोडा सा गुस्सा आ गया.अब भूखे पेट कोई भी गुस्सा हो सकता है
 मुझे गुस्से में देखकर मम्मा डैडी मुझे खाने के स्टाल की तरफ ले गए और मेरे मनपसंद की चीज़ खिलाई तब जाकर मेरा गुस्सा शांत हुआ.

अब थोडा और घूमता हूँ आपको
मेले में एक ताऊ जी भी थे. उनके पास एक अजीब सी चीज़ थी
  मैंने सोचा जाकर देखूं आखिर है क्या पर पापा ने मुझे उस चीज़ को छूने नहीं दिया

पर मैं भी मै हूँ आखिर मैंने उस चीज़ को छुआ और जाना की वो क्या है. अरे वो ताऊ का हुक्का था.

 और मैंने ट्राय भी किया पर मज़ा नहीं आया
 फिर मै थक गया और हम घर की ओर निकल पड़े

घर आकर रिलेक्स किया और सोचा अगले साल भी ट्रेड फेयर जरूर जाऊंगा.आखिर कितना कुछ सीखने को मिलता है वहां.
ओके फ्रेंड अब चलता हूँ.इस बार आपको ज्यादा दिन तक अकेला नहीं छोड़ूगा.होली पर आपसे फिर मिलूँगा.तब तक आप ट्रेड फेयर का मज़ा लीजिये.