Tuesday, May 15, 2012

चलो हरिद्वार

हेलो दोस्तों 

फिर से आ गया हूँ आपको अपनी दुनिया की सैर पर ले जाने के लिए.

 मेरा पिछला समय काफी अच्छा बीता. मैंने काफी मस्ती की. तो आपको भी लेकर चलता हूँ हरिद्वार जहा की ख़ूबसूरती में आप खो जायेंगे और कहेंगे वाह  दर्श क्या नज़ारा दिखाया है 


 इस बार हम किसी  होटल में न ठहरकर एक आश्रम में ठहरे जिसका नाम था श्री यन्त्र मंदिर. 




 सच मानिये किसी होटल में ऐसा सुख आपको मिल ही नहीं सकेगा और हरिद्वार के क्या कहने सच में हरिद्वार तो सही मायने में हरी का द्वार ही है 

 यहाँ का गंगा स्नान कोई भूल ही नहीं सकता इतना ठंडा पानी की तन के मन को शीतल  कर दे तभी तो कहते है की यहाँ स्नान करने से हर तरह का मेल धुल जाता है.गंगा स्नान और गंगा माँ के दर्शन के बाद हमने चंडी देवी के दर्शन भी किये।

 


 उसके बाद  हम आश्रम वापस आ गए. और चैन की नीद सो गए


दुसरे दिन हम ऋषिकेश गए. वहा जाने से पहले एक बार फिर मेरे बालो को मुझसे दूर कर दिया गया और मेरा नया लुक कुछ ऐसा आया 


 कूल न. देखा डैड आप चाहे कितनी भी कोशिश कर लो हम तो स्मार्ट ही दिखेंगे 
ऋषिकेश के बारे में मम्मा -डैड कुछ झूला-झूला की बात कर रहे थे मैंने सोचा की चलो मेरे मतलब का कुछ तो मिलेगा। मन भरकर झूला झुलूँगा  पर ये क्या यहाँ तो झूल नहीं बल्कि इतना बड़ा झूला पुल है की सब लोग एक साथ झूल सकते है  


 खैर मज़ा आया वहा झूलने में। अब ऐसा झूला और कही है भी नहीं न. यहाँ गंगा माँ अपने प्राकृतिक रूप में है. प्राकृतिक इसलिए क्योंकि हरिद्वार में तो उनको कनाल बनाकर लाया गया है न. ऐसा मम्मा ने  डैड को बताया था तब मैंने सुना.फिर हम नाव  में भी बैठे 



वापस आते समय  वहा चोटीवाला फ़ूड के ब्रांड एमबेसडर से भी मुलाकात हो गई 


फिर टेक्सी लेकर हम वापस हरिद्वार आ गए जहा सुबह हमारी ट्रेन थी दिल्ली के लिए. पर वहा से लौटने का किसी का मन  नहीं था पर डैड की छुट्टी ख़तम हो गई थी तो हमको वापस आना ही पड़ा   
 मेरा ब्लॉग पढ़ते रहिये अगली बार आपको एक पार्टी में ले चलूँगा

तब तक के लिए बाय .. .... .... .... ... ... ...