Monday, November 21, 2011

काफी कुछ बदल गया है

हेलो दोस्तों


इस बार काफी समय बाद आप लोग से रूबरू जो रहा हूँ.इस बीच काफी कुछ बदल गया है मै बदल गया हूँ, देश बदल गया है आप भी बदल गए होगें आखिर बदलाव ही तो प्रकृति का नियम है .है न? मै बड़ा हो गया हूँ अब
 और शैतान भी ऐसा मम्मा डैडी पुरे दिन बोलते रहते है
आजकल अगर किसी का फ़ोन भी आ गया तो मम्मा मेरी ही चर्चा करती रहती है और मै तब तक कोई न कोई शैतानी करके मम्मा को परेशान करता रहता हूँ. सच बड़ा मज़ा आता है.
 इस बीच मेरा पहल बर्थ डे भी बीत गया. मैंने सोचा था बड़े धूमधाम से मानेगा मेरा बर्थडे और मै आपको यह खुशखबरी बड़े ही अनोखे अंदाज़ में दूंगा पर ऐसा कुछ नहीं हुआ.और तो और मेरे पहले बर्थडे में मेरा डैडी ही मेरे पास नहीं थे वो अन्ना अंकल  को कवर कर रहे थे वो भी उनके गावों रालेगन सिद्धि में.

अब आजकल अन्ना अंकल और उनकी टीम ही तो हॉट न्यूज़ है  तो मेरे बर्थडे की क्या बिसात.पर मम्मा ने मेरा बर्थडे सेलिब्रेट किया,वो भी बड़े धूम धाम से.मम्मा ने सब अकेले किया था मेरे बर्थडे पर afatrall she  is  my  mamma .

 but डैडी की कमी तो खली ही हम दोनों को.
 
खैर अब मेरे अगले बर्थडे पर मै इस साल की भी कसर पूरी करूँगा.
 इस बार  मैंने मम्मा  के साथ करवाचौथ भी मनाया.
 इस दिन मम्मा डैडी से कह रही थी आज जल्दी घर आ जाना और डैडी भी समय से पहले ही घर आ गए.अब मम्मा बेचारी कब तक भूखी प्यासी रहती.पूरा दिन बिना पानी पिए बाप रे  बाप कैसे किया होगा मम्मा ने.
फिर मम्मा ने चाँद को देखकर अपना व्रत खोला फिर हम बाहर गए  खाना खाने .
  उस दिन तो पार्टी हो गई समझो मेरी भी और मम्मा डैडी की भी.
इसके बाद आयी दीपावली . पुरे पाच दिनों का सेलिब्रेशन लेकर. मज़ा आया मुझे तो हर  दिन.सच दुनिया का सबसे अच्छा और मजेदार त्यौहार है ये दीपावली.बड़ी दीवाली के दिन  मम्मा ने रंगोली बनाई थी और पूरा घर सजाया था.
 डैडी में लाइट लगाई थी. रंग बिरंगी टिमटिमाती लाइट सच काफी खूबसूरत नज़ारा था.
 हमारी पूरी गली चमक रही थी पहाड़गंज की तरह ऐसा डैडी ने कहा था मम्मा से.
 हमने माँ लक्ष्मी और  गणेशजी की पूजा की.

 मैंने अपने जीवन की पहली फुलझड़ी जलाई इस दिन.

अब तो नया साल भी आने वाला है. सबकुछ नया नया होगा. मैंने अभी प्लान नहीं किया है कैसे मनाऊ अपना नया साल क्या आपके पास कोई प्लानिग है तो मुझे भी बताइए और हा मेरा ब्लॉग पढ़ते रहिये.
 तब तक के लिए बाय बाय

Sunday, August 14, 2011

मैहर में हुआ मेरा मुंडन संस्कार

हेल्लो दोस्तों
  इस बार मै आपको मैहर ले जाऊंगा जहा माता शारदा देवी विराजमान है


चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है .. ... ... हम दिल्ली वासी ये गाना अक्सार माता वैष्णव देवी के लिए गाते है पर भारत में ऐसी और भी देवियाँ है जिनके बुलावे पर भक्त नंगे पांव दौड़े चले जाते है.
ऐसी ही माता है मैहर की शारदा माता जहाँ भक्तों का ताँता लगा रहता है . लोग मन्नत मांगने यहाँ आते है और मन्नत पूरी होने पर माता का धन्यवाद देने.
एक  और काम है जिसके लिए लोग यहाँ आते है और वो है बच्चो का मुंडन संस्कार. हम भी इसी मकसद से माता के दरबार में गए. भई मेरा मुंडन जो होना था.


वैसे भी अपने लम्बे बालों से मै पूरी गर्मी परेशान रहा और अगर इस महीने यानि ११ महीने भी मेरा मुंडन न होता तो मुझे पूरे एक साल और इन्तजार करना पड़ता जो काफी मुश्किल काम था.
सो मम्मा डैडी ने सोचा कि ११ महीने में ही मेरा मुंडन हो जाना चाहिए.
सो हम सब पहुँच गए माता के दरबार में. मै मम्मा डैडी,अर्चना बुआ, कल्पना बुआ आशुतोष फूफा जी,बड़े फूफा जी और आचल और आयुष.
माता के मंदिर में आकर जाने का मन नहीं करता
वहा हर नज़ारा आपको अपना बना लेता है

हम सब वहां ट्राली से गए बड़ा मज़ा आया. मुझे भी और आयुष और आँचल को भी
आयुष अर्चना बुआ और आशुतोष फूफाजी का बेटा है मुझसे बस एक हफ्ते बड़ा है पर बहुत रोता है


कई बार तो मुझे उसको चुप करवाना पड़ा
मदिर में मेरे कई चाहने वाले भी मिल गए जिन्होंने मेरे साथ कई फोटो खिचवाई.

 फिर हम नीचे आ गए जहा मेरा मुंडन हुआ

  मै बिलकुल भी नहीं रोया क्योंकि मै एक अच्छा बच्चा जो हूँ.


मैहर जाकर मुझे तो बड़ा अच्छा लगा इसलिए मै आपसे कहता हूँ एक बार मैहर जरुर जाना . माँ शारदा के दर्शन के लिए






Monday, June 20, 2011

मेरा पहला फादर्स डे


हेलो दोस्तों
जैसा कि आप  सभी जानते है कि १९ जून का फादर्स डे था आप सभी ने अपने पापा, डैडी या बाबूजी को विश तो जरुर किया होगा बिना इस बहस में पड़े कि यह तो पश्चिम का त्यौहार है या हम तो साल भर पिता को याद करते है.उनका ख्याल रहते है.मेरा तो मानना है कि ख़ुशी मनाने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहिए.भई आप माने या न माने पर अब हम भारतियों के पास भी अपने रिश्तों के लिए कुछ समय निकाल नहीं पाते है.

कई बच्चे तो ऐसे भी है जिन्होंने अपने पापा को ओल्ड एज होम भेज दिया है ये कहकर कि वहा आप आराम से रहेंगे. अब ये तो मेरे जैसा बच्चा भी समझता है कि अपनों के बिना कोई भी खुश नहीं रह सकता. तो क्या अपने पापा को यूँ छोड़ने वालों को उनकी आँखों में तड़प नहीं दिखती? 
 इसीलिए मै कह रहा हूँ कि अब हम भी धीरेधीरे अपने रिश्तों को खोते जा रहे है.  तो क्यों न त्यौहार के बहाने से इन रिश्तो की मिठास को जी लें. क्यों ठीक कहा न मैंने?

 हर त्यौहार की तरह ये भी मेरा पहला फादर्स डे था तो मै तो इसके लिए काफी excited था. मैंने डैडी को सुबह सुबह ही विश कर दिया. हाँ इतना जरुर है कि डैडी मेरी भाषा समझ नहीं पाए पर मेरी भावनावों को उन्होंने जरुर समझा होगा.है न डैडी?
 सॉरी डैडी इस बार बस विश और मेरी किस्सी से काम चला लो. २-३ साल बाद मै आपको गिफ्ट भी दूंगा और हम केक भी काटेंगे.
सभी पापा को हैप्पी फादर्स डे 


                                                               

Sunday, May 29, 2011

मै और मेरे डैड

हेलो दोस्तों,

आज मै आपको अपने डैड के बारे में बताऊंगा. जैसा कि आप जानते है उनका नाम दिनेश देवांगन है. उनके ऑफिस में लोग उन्हें dd के नाम से जानते है.

डैड इंडिया टीवी में कैमरा पर्सन है.
मेरे डैड को आप मिस्टर कूल भी कह सकते है. उनको गुस्सा कम ही आता है. 
उनकी कम्पनी मै सबसे ज्यादा इंजॉय करता हूँ. मम्मा से भी ज्यादा सच.
जब मै और डैड साथ में होते है तो हम बाकि सब को भूल जाते है.

हम सुबह साथ साथ उठते है. डैड के साथ ही मै breakfast लेता हूँ.अरे भाई डैड अपना नाश्ता करते है और मुझे मेरा करवाते है. डैड मुझे बालकनी में ले जाते है.
हम साथ साथ नीचे  सब्जी लेने भी जाते है और कभी कभी दूध और ब्रेड लेने भी जाते है.
आप जानते है आजकल मैंने डैड बोलना सीख लिया है. मम्मा इस बात से मुझसे काफी नाराज है कि मैंने पहला वर्ड मम्मा क्यों नहीं बोला. अरे मम्मा समझ करो डैड बोलना ज्यादा इजी है.

कभी कभी मेरा रोना सुनकर डैड मुझे डाट लगा देते है. फिर तो मै जो ऊँचे सुर में रोता हूँ कि क्या बताऊँ.


काफी टाइम लगता है मुझे चुप करने में. इस बीच मुझे डाटने के लिए डैड को मम्मा से डाट खानी पड़ती है. मज़ा आता है देखकर.

जब तक डैड घर पर होते है वो मेरे साथ खेलते है ताकि मम्मा को दूसरे कामों के लिए टाइम मिल सके. अब मम्मा डैड दोनों मुझपर ध्यान देंगे तभी तो मेरी परवरिश अच्छे से होगी.   
मुझे लगता है सभी  डैड को मेरे डैड से कुछ सीखना चाहिए. मेरे डैड मेरा उतना ही ध्यान रखते है जितना मम्मा. शायद इसलिए मैंने पहला वर्ड डैड बोला है.  
ओके दोस्तों अब मै जाता हूँ कही मम्मा मेरे डैड पुराण से और न नाराज़ ही जाये मै उनको मनाता हूँ तब तक आप बताइए कि मै और मेर डैड आपको कैसे लगे