Friday, April 29, 2011

मेरी पहली होली

हेलो दोस्तों

मैंने कहा था न की मै अपनी पहली होली  की यादें आपके साथ बाटूंगा ,तो हाज़िर हूँ मै. हाँ कुछ ज्यादा ही लेट हो गया मै अपनी यादों को समेटने में पर जब आप सीरियल में हफ़्तों बाद तक होली देख सकते या यूँ कहूँ की झेल सकतें है तो मै तो आपका प्यारा दर्श हूँ और ये मेरी पहली होली थी तो थोड़ा तो adjust कर ही सकते है न .


इस बार मैने होली मेरठ में मनाई. मम्मा-डैडी के frd  राहुल अंकल और प्रियंका आंटी के यहाँ. उनके घर पर मेरी प्यारी बहन लावण्या भी है. हम प्यार से उसे लवी बुलाते है.
 लवी और मेरा साथ कुछ हटकर ही था 


कभी मै रोता तो लवी हँसती


और कभी लवी रोती तो मै हँसता

  ऐसे ही हमारा टाइम पास होता था.फिर मै  थककर सो जाता था

वहा राहुल अंकल के landlord भी थे. 
 उन्होंने दो दिन में मुझे इतना प्यार दिया की मेरा तो वहा से आने का मन ही नहीं हो रहा था.वैसे भी मै और मेरे जैसे और भी बच्चे जो मेट्रो सिटी में रहते है वो नानी नाना, दादा दादी के ऐसे प्यार के लिए तो तरसते ही रहते है. ऐसे में कोई उन अंकल आंटी जैसा प्यार करने वाला  मिल जाये तो तो किसका मन करेगा ऐसी जगह से आने का.
ये है अंकल आंटी के बेटे .एक  मज़े की बात बताऊँ मैंने उनके बेटे को उसके ही कमरे से भगा दिया था. बस मै उसको देखकर रोने लगता और सब मिलकर उसको कहते तू बाहर जा, बच्चे को रुला रहा है. सच बड़ा मज़ा आया था.वैसे he is very cool gye .

ये है आंटी की बेटी. ये लवी को बहुत प्यार करती है. मुझे ये देखकर लवी से जलन होती थी. फिर मैंने सोचा मेरी ही तो बहन है और मुझेसे छोटी भी है पूरे १३ दिन सो उसका हक है ज्यादा प्यार पाने का.
खैर होली की बात करते है. हमने जमकर होली खेली. 
  सबने मुझे और लवी को रंग लगाया.हमारी पहली होली का रंग. मज़ा आ गया.


वहा मै झूले पर बैठा . 



टब में नहाया 


वाकर चलाया 

 ये सब मैंने पहली बार किया 
पेपर भी पड़ता रहा ताकि दुनिया की खबरों से अनजान न रहूँ
मेरठ का हर लम्हा मेरे लिए यादगार लम्हा है जिसको मैं कभी नहीं भूल सकता.

इस बार  इतना ही क्योंकि एक आंटी ने कहा था की मेरी पोस्ट लम्बी हो जाती है.क्या करूँ आंटी नया हूँ न इस लाइन में धीरे-धीरे परिपक्व हो जाऊंगा. बस आप लोगों का साथ और प्यार चाहिए.  

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